थराली तहसील के सोल पट्टी में नहीं थम पा रहा है भालुओं का हमला,प्रशासन बना है मूकदर्शक।
चमोली / थराली
समस्याएं एक हों तो जनता उसके निदान के लिए खुद ही हाथ पांव मारे।मगर पहाड़ों में जनता की समस्याओं का कोई अंत नहीं होता है।दिन प्रतिदिन कोई न कोई नई समस्याओं से पहाड़वासियों को दो चार होते रहने का शायद कोई अभिशाप है।
सड़क,स्वास्थ्य,शिक्षा,रोजगार जैसी सुविधाओं के लिए तो गांव के गांव खाली होने की कगार पर पहुंच रहे हैं।और बचे खुचे जो लोग पहाड़ों में जीवन यापन कर भी रहे हैं तो ले जंगली जानवरों से लगातार संघर्ष करने के लिए लाचार और विवश हैं।
बात चाहे खेती बाड़ी को जंगली जानवरों द्वारा तहस-नहस करने से बचाने के लिए जूंझते पहाड़वासियों की करें या हिंसक भालुओं,गुलदारों व बंदरों के साथ संघर्ष में जान गंवाने या जख्मी होकर अपाहिज जैसी हालत में पहुंचने की करें तो हर मुश्किलों से दो चार जनता को ही होना है। सरकारी अम्ला सिर्फ कागजों के पुलिंदों और सिर्फ अश्वसनों के बब्बरशेर साबित होते आए हैं।इसकी बानगी इससे आसानी से समझा जा सकता है कि चमोली जिले का थराली विकास खण्ड में बहुत बड़ा क्षेत्र है सोल पट्टी। यहां के ग्राम पंचायत डुंगरी और रुईसाण में पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से भालुओं ने घरों के पास ही तकरीबन सात-आठ महिला पुरुषों को हमला कर बुरी तरह जख्मी किया है।
हर बार इन घायल लोगों को स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में थोड़ा सा मरहम पट्टी बांध कर नाम के हायर सेंटरों के लिए रेफर कर दिए जाते हैं।और इसी के साथ सबकी जिम्मेदारी बस खत्म हो जाती है।वन महकमा भी कुछ नहीं कर पा रहा है। इससे लोगों में नाराजगी पनपती जा रही है।
सोल पट्टी में भालुओं का आतंक किस कदर बन गया है कि बीते रोज देर शाम को भी पंकज सिंह पुत्र नन्दन सिंह उम्र 32 साल ग्राम सभा रुईसान डूंगरी तोक रतपानी समय 4:30 बजे साम को वह अपने चाचा का लड़का 11 वर्षीय मोहित सिंह पुत्र दरवान सिह के साथ में घर के पास था।
इतने में घर के बगल में पीछे से भालू ने हमला कर दिया तो पंकज ने साहस दिखाकर खूब हला ओर लाठी डंडे से भालू के चंगुल से अपने भाई मोहित को बचा कर घर की तरफ भेजा और फिर भालू ने उसी को दबोच कर हमला किया तो तब आस पास के लोगों ने हल्ला सुन कर पंकज सिंह को भालू के चंगुल से छुड़ाया।
क्षेत्र पंचायत सदस्य दिगंबर देवराडी कहते हैं कि वन विभाग के रेंजर और अन्य वन कर्मी उनके क्षेत्र में लगातार गस्त लगा रहे हैं और पटाखे व हवाई फायर कर भालुओं को आबादी से दूर भगाने की जद्दोजहद कर रहे हैं लेकिन यह सब नाकाफी साबित हो रहा है।