लता नंदा देवी मंदिर में कत्यूरीके राजवंश भी करते थे पूजा आज भी निकलती है 12 वर्ष बाद नंदा देवी।

Spread the love

लता नंदा देवी मंदिर में कत्यूरीके राजवंश भी करते थे पूजा आज भी निकलती है 12 वर्ष बाद नंदा देवी।

चमोली

देवरा यात्रा उर्गम घाटी नीति घाटी में 12 वर्षों के अंतराल में लाता नंदा देवी की देवरा यात्रा संपन्न किया जाताहै लाता नंदा देवी के बारे में मान्यता है कि यह देवी कत्यूंरी राज नरेश की राज देवी रही है जब गढ़वाल क्षेत्र में कत्यूरी का शासन काल ६वी ईस्वी ९ इसवी के बीच माना जाता है।

जब गढ़वाल का क्षेत्र तिब्बत तक हुआ करता था जिसे भोटानत प्रदेश के नाम से जाना जाता था इस समय के ऊंचे ताप वाले मंदिरों का निर्माण इसी शासनकाल में माना जाता है जोशीमठ को पहले कत्यूरी शासनकाल में कार्तिकेय पुरम के नाम से जाना जाता था उस समय कत्यूरी राजवंश जो कि राज देवी लाता नंदा भगवती ही थी राजा का गढ़ तपोवन में हुआ करता था ऐसी मान्यता है। लाता नंदा देवी मंदिर में के बारे में मान्यता है कि यहां पर भगवती का 64 मुख वाली एक तलवार है जो आकाश मार्ग से गिर कर इस गांव में आई थी और इस खडग को देवी के मंदिर में रखा जाता है ऐसी मान्यता है कि खड़के ऊपर जब भी घी का लेपन किया जाता है तो पुजारी अपनी आंखों में पट्टी बांधकर खंडग में घी लेपन करता है, ।

 

लाता गांव के पूर्व प्रधान धन सिंह रावत कहते हैं कि जो भगवती की मूर्ति दिखाई देती है यह नंदा की मूर्ति नहीं है बल्कि बालमपा की मूर्ति है। नंदा तो कैलाश में भगवान शंकर की अर्धांगिनी के रूप में पूजित है बालम ही नंदा को मिलने कैलाश जाती है पिछले 6 सितंबर से 30 सितंबर तक पूरी घाटी में भगवती की रथ यात्रा का आयोजन हुआ जितने भी अनुसूचित जनजाति के गांव नीति घाटी में है उन में देवी ने प्रवास किया और यहां पर रात्रि के समय कुछ विशेष स्थानों पर मुखौटा नृत्य का मंचन किया गया जिसमें देव ऋषि नारद ईश्वर मुखोटा, कनाडा देश का राजा, लाटी लाटा, रानी राधिका भगवान कृष्ण राम लक्ष्मण सीता हनुमान सूरज पत्र सहित कई मुखोटे का मंचन किया जाता है।

 

18 तालों में इन नृत्यों का मंचन किया जाता है धीरे धीरे ढोल वादन की कला सीमित होती जा रही है इस के लोक कलाकार बहुत कम मिलते हैं सभी को ताल एवं छंदों का ज्ञान नहीं होता है जिससे कठिनाइयां हो जाती है इस कार्य को अनुसूचित जाति के लोग करते हैं।

 

धीरे धीरे वह लोग भी इस व्यवसाय को करने के लिए तैयार नहीं है क्योंकि ढोल वादन से निरंतर आजीविका नहीं मिल पाती है सीमित मात्रा में जब भी कभी कार्य देवी रथ यात्रा या शादी विवाह में मांगलिक कार्य होते हैं उसी समय ढोल वादन से आजीविका मिल पाती है आजीविका की सतत नहीं मिलने के कारण अब यह व्यवसाय समाप्ति के कगार पर पहुंच चुका है। नीति घाटी के 20 से अधिक गांव में कुछ लोग भगवती नंदा के मायके वाले हैं और कुछ लोग ससुराल पक्ष के लोग हैं जिन गांव में भगवती नंदा के मंदिर बने हैं वह मायके वाले भी हैं और ससुराल वाले भी है खुद ही लाता गांव में आधा लोग मां भगवती के मायके वाले हैं और आधा लोग ससुराल पक्ष के लोग हैं।

 

भगवती नंदा 12 वर्ष के अंतराल में अपने मायके को घूमने के लिए जाती है और अपने मायके के मंदिर भाई बहन खेत खलियान सभी देख कर आती है इन सब दृश्यों को देखकर मेले में आए हुए माता बहने बच्चे भी बड़े भावुक हो जाते हैं जिस भी गांव में डोली जाती थी वहां के लोगों का उत्साह बड़े चरम पर था इन दिनों नीति घाटी में प्रवासी भोटिया जनजाति के लोगों की बड़ी संख्या में लोग बाहर से अपने गांव लौट कर आये थे कई गांव में खंडर मकान को भी लोगों ने ठीक कर दिए क्योंकि इस वर्ष 12 वर्ष के अंतराल में भगवती नंदा गांव आ रही है सुखद बात यह भी है कि जो घर उजड़ गए थे ।

 

उन्हें फिर से लोगों ने आबाद कर दिया है लगता है कि जिस तरह से मैदान की ओर लोग भाग रहे थे अब लगता है कि गाड़ियों की छुट्टियां बिताने के लिए जरूर इन अपने पुराने गांव में कुछ समय के लिए अवश्य आएंगे वैसे कोविड-19 के कारण भी कई घरों में लोग वापस लौट कर आए हैं अधिकतर भोटिया जनजाति के लोग अवकाश प्राप्त करने के बाद अपने गांव लौट के आ रहे हैं नीति और गमसाली गांव में विगत 10 वर्ष के अंतराल में दर्जनों मकान से अधिक निर्मित हुई है और लोग वापस गांव की तरफ आए हैं जिन गांव में सड़क नहीं पहुंची है वहां लोगों का वापस लौटना सीमित मात्रा में है नंदा के कई मंदिर लाता के अलावा अन्य गांव में है।

नीति घाटी के मुख्य रूप से नंदा के मंदिर लाता ,तोलमा,महर गांव,गरपक,नीति गांव में नंदा की मंदिर अन्य गांव में नंद अष्टमी का कार्यक्रम तो होता है किंतु नंदा का मंदिर नहीं है।

 

नंदा की सभी अनन्य भक्त और उपासक हैं और शक्ति के उपासक इस क्षेत्र में अधिक है लाता नंदा देवी के मंदिर के अलावा नीति नंदा देवी का मंदिर काफी प्रसिद्ध है यहां भी लोग दूर-दूर से यात्रा करने के लिए पहुंचते हैं।


Spread the love
error: Content is protected !!