देवाल/ वांण स्थिति माँ नंदा के धर्म भाई लाटू मंदिर के कपाट शीतकाल के लिये हुए बंद

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वांण देवाल.

चमोली जिले के देवाल ब्लॉक स्थित वांण गांव में स्थित माँ नंदा के धर्म भाई लाटू के सिद्धपीठ मंदिर के कपाट आज विधि विधान से शीतकाल के लिये बंद हो गये हैं। मंदिर के कपाट इस वर्ष 26 अप्रैल को बैसाख पूर्णिमा के पर्व पर श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिये खोले गये थे।
शुक्रवार को निर्धारित परम्परा के अनुसार मंदिर में पूजा-अर्चना और अनुष्ठान किया गया। जिसके बाद 12 बजकर 45 मिनट पर मंदिर के कपाट बंद कर दिये गये हैं। लाटू मंदिर के पुजारी खेम सिंह व लाटू मंदिर समिति अध्यक्ष कृष्णा सिंह ने बताया कि प्रतिवर्ष यात्राकाल में बड़ी संख्या में श्रद्धालु धाम के दर्शनों के लिये पहुंचते हैं।

धाम के कपाट प्रतिवर्ष बैसाख से मार्गशीर्ष माह तक खुले रहते हैं। जिसके तहत कार्तिक पूर्णिमा पर्व पर बंद कर दिये गये हैं। इस मौके पर प्रताप सिंह, हुकुम सिंह, ग्राम प्रधान वाण पुष्पा देवी, हीरा सिंह पहाडी, कृष्णा बिष्ट, नंदी देवी, धामती देवी, धनुली देवी, ऊखा देवी, गब्बर सिंह, रंजीत सिंह आदि मौजूद थे।

ये है लाटू मंदिर को लेकर पौराणिक मान्यता
स्थानीय धार्मिक मान्यता के अनुसार लाटू कन्नौज के गर्ग गोत्र के कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे। ऐसे में जब भगवान शिव और नंदा का विवाह हुआ तो नंदा के सभी भाई बहन को ससुराल विदा करने के लिये कैलाश की ओर चले। इस दौरान लाटू को तेज प्यास लगी तो वो पानी की खोज करने के लिये एक घर में गया। जहां एक बुजुर्ग निवास करते थे। जब लाटू ने उनसे पानी मांगा तो उन्होंने घर के कोने पर रखे दो घड़ों की तरफ इशारा किया। जिस पर लाटू ने एक मटका उठा कर पूरे मटके में रखा द्रव्य पी लिया। लेकिन वह पानी की जगह मदिरा थी। जिससे मदिरा का असर होने पर लाटू ने क्षेत्र में उत्पात मचाना शुरु कर दिया। जिसे देख क्रोधित नंदा ने लाटू को कैद में डाल दिया और लोगों को लाटू का यंही रखने की का आदेश दिया। जिसके चलते आज भी स्थानीय लोग नंदा की ओर से लाटू को किये कैद इस स्थान को मंदिर की तरह पूजा अर्चना करते हैं।


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