सीएम से वार्ता के बाद राज्य कर्मचारियों की 22 नवंबर से प्रदेशव्यापी हड़ताल स्थगित, दूसरी बार हुआ ऐसा

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18 सूत्रीय मांगों को लेकर उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति की 22 नवंबर से प्रदेशव्यापी हड़ताल सीएम पुष्कर सिंह धामी से वार्ता के बाद स्थगित हो गई।

 

18 सूत्रीय मांगों को लेकर उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति की 22 नवंबर से प्रदेशव्यापी हड़ताल सीएम पुष्कर सिंह धामी से वार्ता के बाद स्थगित हो गई। ऐसा दूसरी बार है, जब कर्मचारियों को हड़ताल स्थगित करने का फैसला लेना पड़ा है। हड़ताल स्थगन की सूचना समन्वय समिति के प्रदेश प्रवक्ता प्रताप पंवार और अरुण पांडे ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में दी। साथ ही कर्मचारियों ने कहा कि अब हमारे सब्र का इम्तिहान न लिया जाए और जल्द समस्याओं का समाधान निकाला जाए। यदि फिर हड़ताल का आह्वान किया गया तो किसी भी आश्वासन को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि मांगों को लेकर समिति के संयोजक मंडल ने 22 नवंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की थी। आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आमंत्रण पर मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल ने सीएम आवास में मुख्यमंत्री से भेंट की। उन्होंने बताया कि सीएम ने समिति के संयोजक मंडल को आश्वास्त किया कि मांगों को लेकर उनका रुख सकारात्मक है। उनका प्रयास है कि प्रदेश के कार्मिकों की समस्त लंबित मांगों का निराकरण शीघ्र करते हुए प्रदेश के कार्मिकों के आंदोलन करने से रोक कर उनकी ऊर्जा का सदुपयोग प्रदेश के विकास में लगाई जाए।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने अपने जनसंपर्क अधिकारी राजेश सेठी को अधिकृत किया कि कल समन्वय समिति के संयोजक मंडल की 18 सूत्रीय मांगों को लेकर बिंदुवार चर्चा करते हुए साकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुए समस्त बिंदुओं पर मांगों के अनुरूप कार्यवाही की जाए। इसके साथ ही सीएम ने हड़ताल स्थगित करने का अनुरोध किया। इस पर संयोजक मंडल ने फिलहाल अनिश्चितकालीन हड़ताल को स्थगित करने का आश्वासन दिया। ऐसा दूसरी बार हुआ, जब समिति ने हड़ताल का निर्णय स्थगित किया।
प्रतिनिधिमंडल में पंचम सिंह बिष्ट, सुनील दत्त कोठारी, पूर्णानंद नौटियाल, राकेश सिंह रावत, शास्त्री प्रसाद भट्ट, संदीप कुमार मौर्य, वनवारी सिंह रावत, बीएस रावत, कुलदीप बिष्ट, दिनेश पंत, रमेश बिंजोला, संजीव मलहोत्रा, निशंक सिरोही, सुभाष देवलीयाल, दीपचंद बुडलाकोटी, अनंतराम शर्मा, हृदेश चंद जोशी आदि शामिल थे।
चलाया जा रहा है आंदोलन
गौरतलब है कि 18 सूत्रीय मांगों को लेकर उत्तराखंड के कर्मचारियों, शिक्षकों और अधाकारियों ने साझा मंच का गठन किया है। उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति के बैनर तले ही सिलसिलेवार आंदोलन किए जा रहे हैं। आंदोलन के तहत अभी तक गेट मीटिंग, जिला स्तरीय धरने, जिला स्तरीय रैली का आयोजन किया गया है। आंदोलन के चौथे चरण में छह अक्टूबर को देहरादून में प्रदेश स्तरीय हुंकार रैली निकाली गई।
समिति के संयोजक मंडल के प्रवक्ता अरुण पांडे ने बताया कि शासन की वेतन विसंगति समिति की बैठक समिति के साथ 29 सितंबर को हुई थी। इसमें समिति के प्रतिनिधिमंडल ने विभिन्न समस्याओं को वेतन विसंगति समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह के समक्ष बिंदुवार रखा। बैठक में अध्यक्ष की ओर से सार्थक प्रयास का आश्वासन दिया गया। इसके बाद एक अक्टूबर को समन्वय समिति के प्रतिनिधिमंडल की अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के साथ सचिवालय में मांग पत्र पर विस्तार से वार्ता हुई। इस दौरान अपर मुख्य सचिव ने बिंदुवार चर्चा के दौरान ही कार्मिक विभाग को आवश्यक निर्देश दिए। इस दौरान अपर सचिव ने आंदोलन स्थगित करने का अनुरोध किया था, लेकिन समन्वय समिति ने मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बैठक आयोजित कर समस्त प्रकरणों पर ठोस निर्णय लेने की मांग की। बैठक तय नहीं हुई और इस पर पांच अक्टूबर को हुंकार रैली निकाली गई। कर्मियों ने तय किया था कि 26 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी। तब सीएम से वार्ता के बाद हड़ताल स्थगित कर दी गई थी। अब हड़ताल 22 नवंबर से करने का निर्णय किया गया। इस निर्णय को 21 नवंबर को सीएम से मुलाकात के बाद स्थगित कर दिया गया।


मांग पत्र
1-प्रदेश के समस्त राज्य कार्मिकों/शिक्षकों/निगम/निकाय/पुलिस कार्मिकों को पूर्व की भांति 10, 16, व 26 वर्ष की सेवा पर पदोन्नति न होने की दशा में पदोन्नति वेतनमान अनुमन्य किया जाये।
2-राज्य कार्मिको हेतु निर्धारित गोल्डन कार्ड की विसंगतियों का निराकरण करते हुये केन्द्रीय कर्मचारियों की भांति सीजीएचएस की व्यवस्था प्रदेश में लागू की जाय। प्रदेश एवं प्रदेश के बाहर उच्चकोटि के समस्त अस्पतालों को अधिकृत किया जाये, तथा सेवानिवृत्त कार्मिकों से निर्धारित धनराशि में 50 फीसद कटौती कम की जाये।
3-पदोन्नति हेतु पात्रता अवधि में पूर्व की भांति शिथिलीकरण की व्यवस्था बहाल की जाये।
4-प्रदेश में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाये।
5-मिनिस्टीरियल संवर्ग में कनिष्ठ सहायक के पद की शैक्षिक योग्यता इण्टरमीडिएट के स्थान पर स्नातक की जाये, तथा एक वर्षीय कम्प्यूटर ज्ञान अनिवार्य किया जाये।
6-वैयक्तिक सहायक संवर्ग में पदोन्नति के सोपान बढ़ाते हुये स्टाफिंग पैर्टन के अन्तर्गत ग्रेड वेतन रु0 4800.00 में वरिष्ठ वैयक्तिक अधिकारी का पद सृजित किया जाये।
7-राजकीय वाहन चालकों को ग्रेड वेतन रु0 2400.00 इग्नोर करते हुए स्टाफिंग पैर्टन के अन्तर्गत ग्रेड वेतन रु0 4800.00 तक अनुमन्य किया जाये।
8-चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों को भी वाहन चालकों की भांति स्टाफिंग पैर्टन लागू करते हुए ग्रेड वेतन रु0 4200.00 तक अनुमन्य किया जाये।
9-समस्त अभियन्त्रण विभागों में कनिष्ठ अभियन्ता (प्राविधिक)/संगणक के सेवा प्राविधान एक समान करते हुए इस विसंगति को दूर किया जायें।
10-विभिन्न विभागीय संवर्गो के वेतन विसंगति/स्टापिंग पैर्टड के प्रकरण जो शासन स्तर पर लम्बित हैं, उनका शीघ्र निस्तारण किया जाये।
11-जिन विभागों के ढांचे का पुर्नगठन/एकीकरण शासन स्तर पर किया जाना प्रस्तावित हैं उन विभागों के पूर्व स्वीकृत पदों में कटौती न की जाये, ताकि कार्मिको के पदोंन्नति के अवसर बाधित न हों
12-राज्य सरकार द्वारा लागू एसीपी/एमएसीपी के शासनादेश में उत्पन्न विसंगति को दूर करते हुये पदोन्नति हेतु निर्धारित मापदण्डों के अनुसार सभी लेवल के कार्मिकों के लिये 10 वर्ष के स्थान पर 05 वर्ष की चरित्र पंजिका देखने तथा अति उत्तम के स्थान पर उत्तम की प्रविष्टि को ही आधार मानकर संशोधित आदेश शीघ्र जारी किया जाये।
13-जिन विभागों का पुर्नगठन अभी तक शासन स्तर पर लम्बित है, उन विभागों का शीघ्र पुनर्गठन किया जाये।
14-31 दिसम्बर तथा 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले कार्मिकों को 06 माह की अवधि पूर्ण मानते हुये एक वेतन वृद्धि अनुमन्य कर सेवा निवृत्ति का लाभ प्रदान किया जाये।
15-स्थानान्तरण अधिनियम-2017 में उत्पन्न विसंगतियों का निराकरण किया जाये।
16-राज्य कार्मिकों की भांति निगम/निकाय कार्मिकों को भी समान रूप से समस्त लाभ प्रदान किये जाये।
17-तदर्थ रूप से नियुक्त कार्मिकों की विनियमितिकरण से पूर्वतदर्थ रूप से नियुक्ति की तिथि से सेवाओं को जोड़ते हुये वेतन/सैलेक्शन ग्रेड/ए0सी0पी0/पेंशन आदि समस्त लाभ प्रदान किया जाये।
18-समन्वय समिति से सम्बद्ध समस्त परिसंघों के साथ पूर्व में शासन स्तर पर हुई बैठकों में किये गये समझौते/निर्णयो के अनुरूप शीघ्र शासनादेश जारी कराया जाये।


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