*गर्भ गृह के टूटते नियम विपक्ष ने खड़े किये सवाल*

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गर्भ गृह के टूटते नियम विपक्ष ने खड़े किये सवाल

सोनू उनियाल देहरादून।

उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध चारधाम में से एक केदारनाथ धाम में गर्भ ग्रह को लेकर अब सियासत तेज होने लगी है। धाम में टूटते नियमों पर न तो मंदिर समिति उचित जबाव दे पाई है और न अब तक नियम तोड़ने वालो पर सख्त कार्यवाही हुई । ऐसे में अब बदरी केदार मंदिर समिति पर ही सवाल खड़े हो रहे है।
उत्तराखंड में सनातन धर्म के सुप्रसिद्ध चार धाम विद्यमान है। और इन्ही धामों की मान्यता और नियम बरकरार रह सके उसके लिए बदरी केदार मंदिर समिति काम करती है। लेकिन केदारनाथ धाम में गर्भ गृह के टूटते नियम अब चर्चा का विषय बन गए। क्योंकि आम आदमी के लिए यहां पर दर्शन करना भी किसी जंग जीतने जैसा होता है। लेकिन वीआईपी के लिए यहां पर फिल्म भी शूट हो जाती है । ओर यही कारण है की अब विपक्ष इस मामले में लगातार मंदिर समिति से लेकर सत्ता पक्ष तक सवाल उठा रहा है । श्री केदारनाथ धाम में गर्भ गृह की वायरल होते फोटो कोई पहला मामला नहीं है। लेकिन मंदिर समिति जिस प्रकार से इन मामलों में सफाई देती और नियमो का हवाला देकर कार्यवाही की बात करती है वह समझ से परे है। क्योंकि मंदिर में जाने से पहले आम आदमी से फोन तक बाहर रखवा लिया जाता था। लेकिन जब वीआईपी आते है तो फिर बड़े बड़े कैमरे , लाइव पूजा पाठ तक होना शुरू हो जाता है ।
केदारनाथ मंदिर के गर्भ ग्रह में टूटती परंपराओं और नियमों को लेकर विपक्ष ने अब आक्रामक रुख अपना लिया है। जिस पर विपक्ष लगातार सत्ता पक्ष और मंदिर समिति से सवाल पूछ रहा है। कि नियम क्या सिर्फ आम जनता के लिए हैं। वीआईपी लोगों के लिए या सत्ताधारी दल के नेताओं के लिए नहीं है। क्या भगवान उनके लिए अलग रूप में आते है।
विपक्ष के द्वारा उठाए जा रहे सवालों पर मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय नियमों का हवाला दे रहे हैं। और किसी भी ऐसे नियम के टूटने की पुष्टि नहीं करते हैं। जबकि सत्ताधारी दल भाजपा के नेता इसे सिर्फ विपक्ष का मुद्दा बता रहे है ।
आम आदमी पार्टी ने भी कांग्रेस पार्टी के सुर में सुर मिलते हुए इसे सत्ताधारी दल की नाकामी बताया है। आप नेता ने कहा की केदारनाथ धाम में नियम कानून सिर्फ विपक्षी दलों के नेता और आम आदमी के लिए है। जबकि भाजपा के नेता और उनके धर्माचार्यों के लिए कोई नियम कानून नही है।
केदारनाथ धाम में गर्भ ग्रह को लेकर सख्त नियम बनाए गए है। लेकिन बार बार टूटते इन नियमों से अब सियासत भी गर्म होने लगी है। विपक्षी पार्टी लगातार बद्री केदार मंदिर समिति से सवाल पूछ रही है जबकि सत्ताधारी दल के पास कोई ऐसा जवाब नहीं है जो विपक्ष को खामोश कर दे।


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