वनाग्नि बनी उत्तराखंड की समस्या लाखो सम्पदा जलकर हुई खाक
देहरादून।
जंगलों की आग से प्रदेशभर में लाखों रुपए का नुकसान हो चुका है। फायर सीजन शुरू होने ही उत्तराखंड के जंगल धधक उठाए है । फायर ब्रिगेड , उत्तराखंड फॉरेस्ट और वायु सेना समेत थल सेना आग बुझाने में लगी है । सीएम धामी ने हल्द्वानी में बैठक लेकर स्तिथि का जायजा लिया । वही विपक्ष सरकार के फैसलों पर सवाल खड़े कर रहा है ।
फायर सीजन शुरू होते ही उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग भीषण हो गई है। शुक्रवार को आग की लपटें नैनीताल की हाई कोर्ट कॉलोनी तक पहुंच गईं। जिसमे रडार स्टेशन, पाइन्स के जंगल और मनोरा रेंज में आग पर वन कर्मियों, फायर ब्रिगेड और सेना ने काबू पा लिया है । वही बारापत्थर और मंगोला क्षेत्र में आज को बुझाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके वायुसेना के एमआई 17 हेलीकॉप्टर की मदद से आग को बुझाया जा रहा है । जिसके कारण भीमताल और नैनी ताल झील में बोटिंग फिलहाल के लिए बंद कर दी है । उधर पूरा नैनीताल शहर आग के धुएं के कारण परेशान है।
गौरतलब है कि बीते 24 घंटों में राज्य के विभिन्न हिस्सों से जंगल में आग लगने की 31 नई घटनाएं सामने आईं। इस भीषण आग से अभी तक 544 घटनाओं में राज्य में 656 हेक्टर वन भूमि नष्ट हो गई है। वनाग्नि के कारण एक व्यक्ति घायल और एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है। वही वनग्नि की घटनाओं में 196 केस दर्ज किए गए हैं। जिसमें 173 अज्ञात मामले पर 29 केस नामजद किए गए वन मंत्री सुबोध उनियाल ने घटनास्थल पर डीएफओ को जाने के निर्देश दिए गए हैं। वही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के अनुसार संबंधित अधिकारियों के लापरवाही बरतने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वही वन विभाग द्वारा यह प्रयास किया जा रहे हैं कि जंगल की आगो पर कारवाई की जाए।
जहां भाजपा एक तरफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कुशल नेतृत्व पर विश्वास रखने का भरोसा दिखाया है । वही कांग्रेस का आरोप है कि करोड़ों रुपए का नुकसान वन संपत्ति को हो चुका है। संबंधित अधिकारियों को जांच के दायरे में लाकर कारवाई की जाए।
वन अग्नि से जहां एक तरफ वन जीवो और वन प्रजातियों को नुकसान पहुंच रहा है। वही वन विभाग को वन अग्नि से लड़ने के लिए मिल रहे करोड रूपए पर असर पड़ रहा है । वन कर्मियों माने तो राज्य सरकार की नीतियों से 2023 और 22 के मुकाबले 2024 में वन अग्नि की घटनाएं कम हुई है। लेकिन क्या वन विभाग के अधिकारी इस मुसीबत का कोई तोड़ निकाल पाएंगे। फिलहाल जंगलों की आग की तरह सियासत भी तेज हो गई है।