*भारत के प्रथम विक्टोरिया क्रॉस विजेता दरवान सिंह नेगी को गौचर में किया गौरव सैनिकों ने याद, उनके चित्र पर की पुष्पांजली अर्पित।*

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गौचर / चमोली।
ललिता प्रसाद लखेड़ा
भारत के प्रथम विक्टोरिया क्रॉस विजेता दरवान सिंह नेगी को गौचर में किया गौरव सैनिकों ने याद, उनके चित्र पर की पुष्पांजली अर्पित।

भारत के प्रथम विक्टोरिया क्रास विजेता महानायक दरबान सिंह नेगी के 141 वें जन्मदिन पर गौरव सैनिक संगठन गौचर ने उनके चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया।


संगठन के अध्यक्ष बीरपाल सिंह नेगी की अध्यक्षता में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में गौरव सैनिकों ने विक्टोरिया क्रॉस के नायक दरवान सिंह के 141 वें जन्मदिन पर उनके चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर गौरव सैनिकों ने उनकी बीर गाथा को याद करते हुए उनके पदचिन्हों पर चलने का आवाहन भी किया। इस अवसर पर गौरव सैनिक राजेंद्र सिंह कंडारी, कैप्टन प्रेमपाल, सुबेदार शिशुपाल सिंह सगोई, रमेश नेगी आदि मौजूद रहे।

इस परम वीर का जन्म चमोली गढ़वाल के कफारतीर गांव में एक किसान परिवार में हुआ था । 1902 में, 19 साल की उम्र में, वह 39वीं गढ़वाल राइफल्स, भारतीय सेना में शामिल हो गए। दरबान सिंह नेगी 39 गढ़वाल राइफल्स की पहली बटालियन में नायक के पद पर तैनात थे. दरबान सिंह और उनकी टुकड़ी को ब्रिटिश सरकार की तरफ से प्रथम विश्व युद्ध में फ्रांस के फेसटुबर्ट शहर में भेजा गया. यहां उनकी टुकड़ी ने दुश्मनों पर धावा बोल दिया।

युद्ध में खूब गोली बारी हुई और दरबान सिंह नेगी की टुकड़ी के कई साथी घायल और शहीद हो गए. फिर भी उन्होनें खुद कमान अपने हाथ में लेते हुए दुश्मनों पर धावा बोल दिया. उनके सर में दो जगह घाव हुए और कन्धे पर भी चोट आई. परन्तु घावो की परवाह न करते हुए अदम्य साहस का परिचय देते हुए आमने सामने की नजदीकी लड़ाई में गोलियों और बमों की परवाह ना करते हुए दुश्मनों के छके छुड़ा दिए।


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