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वीरान और बंजर जमीन में लौटा दी हरियाली पिलखी गांव की कहानी

Pushkar Singh Negi by Pushkar Singh Negi
December 29, 2021
in अन्य, उत्तराखण्ड, चमोली
वीरान और बंजर जमीन में लौटा दी हरियाली पिलखी गांव की कहानी
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चमोली

वीरान और बंजर जमीन में लौटा दी हरियाली पिलखी गांव की कहानी जोशीमठ चमोली उर्गम के एक गांव की कहानी लोगों की मुंह जुवानी वैसे तो कोई भी काम कठिन नहीं है यदि लग्न और संघर्ष की ठान ली जाए तो यह चरितार्थ करके दिखाया एक स्वैच्छिक संगठन और स्थानीय जनता ने वर्ष 2009 में ग्राम पंचायत भेंटा और सामाजिक संगठन जनदेश के द्वारा एक सामूहिक कार्य योजना तैयार की गई योजना का मकसद था कि वीरान और उखड़ भूमि में हरियाली लौटआना पंच केदार की घाटी भेंटा गांव के ग्रामीणों एवं शैक्षिक कार्यकर्ताओं के द्वारा इस तप्रयास को शुरू किया गया 20 हेक्टेयर से भी अधिक बंजर भूमि में हरियाली लौट आने का संकल्प को शुरू किया गया पहले तो लोगों को कठिन लग रहा था।

यह कार्य कैसे होगा गांव में कई दौर की बातचीत की गई इस कार्य में सामाजिक संगठन जनदेश के सामाजिक कार्यकर्ताओं और ग्राम पंचायत की प्रधान राजेश्वरी देवी महिला मंगल दल अध्यक्ष माहेश्वरी देवी युवक मंगल अध्यक्ष नंदा सिंह नेगी जनदेश के सचिव लक्ष्मण सिंह ने द्वारा ग्रामीण को समझाया गया और निर्णय लिया गया कि पहले वनीकरण की चारदीवारी तैयार की जाए हर महीने वनीकरण में श्रमदान किया जाए जिसमें गोवर डालना निराई गुड़ाई करना और वनीकरण का देख रेख करना मनरेगा के माध्यम से इसमें वनीकरण की शुरुआत की गई मिश्रित पौधों का रोपण किया गया बांज, देवदार, अंगू पय्याँ ,चमखडी, सुरई सहित चारा पति के 20 हजार से भी अधिक पौधों का रोपण किया गया जिसमें मनरेगा के द्वारा 2505 पौधे बाकी पौधों की व्यवस्था सामाजिक संगठन जनदेश के द्वारा की गई पूरे क्षेत्र में वर्ष1 999 के भूकंप के कारण इस गांव को पुनर्वास की श्रेणी में रखा गया था अधिकांश लोगों ने तय कर लिया था कि गांव छोड़ दिया जाए किंतु एक संघर्ष का प्रयास एक हरियाली और खुशहाली की ओर लौट आया आज गांव में 21 परिवार निवास करते हैं।

सभी गांव में रहते हैं कुछ लोग सरकारी नौकरी में भी एवं आजीविका के लिए कंपनियों में भी काम करते हैं किंतु गांव में निवास करते हैं इस गांव की एक सुखद पहल यह भी है कि जब भी गांव के बच्चे गांव में छुट्टियों में वापस आते हैं अपने गांव के वनीकरण में श्रमदान अवश्य करते इस परंपरा को देखते हुए बाहर से भी कई यात्री एवं दर्शक यहां तक वनीकरण को देखकर अभिभूत हो जाते वर्ष 2014 का शैला देवी पर्यावरण पुरस्कार यहां की महिला मंगल दल एवं ग्राम पंचायत जनदेश स्वैच्छिक संगठन को संयुक्त रूप से दिया गया था जिससे ₹25000 का नगद पुरस्कार और सम्मान पत्र दिया गया ग्राम पंचायत को भी वर्ष 2015-16 का राष्ट्रीय स्तर पर पंचायत सशक्तिकरण का 500000 का पुरस्कार प्राप्त हुआ था।

जोशीमठ के ब्लाक प्रमुख हरीश परमार कहते हैं कि इस तरह के प्रयासों से ही गांव में रचनात्मक गतिविधियां बढ़ती है 2014 में केदारनाथ आपदा के बाद इस गांव में तत्कालीन जिलाधिकारी चमोली एस मुरुगेशन ने इस गांव में आकर के इस वनीकरण को देखा इस कार्य के लिए स्वैच्छिक संगठन जनदेश को प्रशंसा पत्र दिया। इस कार्य को देखने के बाद पर्यावरणविद पद्मश्री कल्याण सिंह रावत कहते हैं कि समुदाय और संगठन का यह साझा प्रयास आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।

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