*हंसकोटी और कौब गांव में परंपरागत बैसाखी मेले का आयोजन हुआ।*

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नारायणबगड़ / चमोली

बैसाखी के पर्व से शुरू हुए बैसाखी मेलों की श्रृंखला में बुधवार को क्षेत्र के हंसकोटी और कौब गांव में परंपरागत बैसाखी मेले का आयोजन हुआ।

धार्मिक आस्था और विश्वास से जुड़े इन मेलों के प्रति स्थानीय लोगों का आज भी गहरा लगाव है। वर्षभर की प्रतीक्षा करते हुए यहां के लोग और विशेषकर ध्याणियां बैसाखी के मेले में अपने आराध्यों के दर्शन -पूजन के लिए बडी संख्या में पहुंचते हैं। और अपनी खुशहाली की कामना करते हैं।

 

बैसाख माह की 5 गते को कौब तथा हंसकोटी गांव के जंगल की सीमा पर लगने वाले बैसाखी के मेलों को पौराणिक समय से लोदीखाल कौथिग (कौब)तथा मलियाल कौथिग(हंसकोटी) के नाम से प्रसिद्धि मिली है। कौब में होने वाले लोदीखाल कौथिग में क्षेत्रपाल देवता लाटू, ध्योसिंह और देवी भगवती की निशाणें शामिल होती हैं, जबकि हंसकोटी के मलियाल कौथिग में मलियाल देवता की डोली के साथ भूमियाल और कालिंका माई की निशाणें शामिल होती हैं।

मेले के दौरान देवडोलियों और निशाणों को ढोल-दमांऊ की तालों पर नचाते हुए श्रद्धालुजन खुद भी नाचने लगते हैं। उमंग और उल्लास से भरपूर बैसाखी के ऐ मेले लोगों को अपनी सांस्कृतिक विरासत से भी जोडे़ रखती हैं। कौब के लोदीखाल कौथिग में इस बार देव निशाणों के नृत्य के अलावा घुडैत नृत्य और बुढादेव नृत्य मेलार्थियों को आकर्षित करने में सफल रहे।

 

वहीं हंसकोटी के मलियाल कौथिग में इस बार जवान मलियाल को नचाने में युवाओं ने खूब जोश दिखाए। 23 अप्रैल को थराली के मैटा-भटियाणा में पिंडरघाटी के अंतिम बैसाखी मेले का आयोजन होगा।


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