देहरादून: उत्ततराखंडड
उत्तराखंड में भी बहुत दिलचस्प बातें, होती रहती हैं। यह सत्य है कि हमारी सरकार ने यह निर्णय लिया कि पूर्व मुख्यमंत्रीगणों को एस्कॉर्ट न दी जाए। मगर भाजपा से जुड़े हुए जितने पूर्व मुख्यमंत्री हैं या उनके प्रदेश अध्यक्ष भी हैं, उनको तो पुलिस एस्कॉर्ट दी जा रही है और मैं मांगता नहीं लेकिन ट्रैफिक की बुरी हालत देखकर देहरादून और दूसरी जगह भी, कभी-कभी कार्यक्रम छूट जाते हैं, समय पर नहीं पहुंच पाते हैं, उस समय एस्कॉर्ट की जरूर याद आती है तो मैं यह बात उत्तराखंड के जनता की नजर में डालना चाहता हूँ कि क्या राज्य में पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए भी 2 नियम होने चाहिए! एक सत्तारूढ़ पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सब सुविधा मिले और एक विपक्ष/कांग्रेस से जुड़ा हुआ पूर्व मुख्यमंत्री मैं ही हूं और भाजपा से लाइन है, तो उस सारी लाइन को तो पुलिस एस्कॉर्ट भी है,
पुलिस सुविधाएं भी हैं और मुझे किसी तरीके की भी सुविधा नहीं दी जा रही है, कभी ऐसी आवश्यकता पड़ती है तो उनसे कहने पर हर व्यक्ति एक ही बात कहता है कि साहब शासन से आदेश आ जाए, मतलब यदि हम कहीं जाम में फंस जाएं, कहीं पर और किसी तरह की कठिनाई में फस जाएं तो उसके लिए हमें अपनी व्यवस्था अपने आप करनी है, मैं उसके लिए भी तैयार हूंँ। लेकिन वो नियम मुझ पर ही लागू नहीं होना चाहिए, वो सारे पूर्व मुख्यमंत्रियों पर लागू होना चाहिए। यह बड़ी जांच का विषय रहेगा कि कौन से वो अधिकारी हैं जो दो पूर्व मुख्यमंत्रियों में रूलिंग पार्टी और गैर रूलिंग पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्रियों में पुलिस सुविधा देने में भी भेदभाव कर रहे हैं।