कबीना मंत्री हरक सिंह बोले- ऐसा निर्णय लेंगे जो सबको संतुष्टि हो
केंद्र सरकार के विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद अब उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के मामले को समाप्त करने की राह भी खुलती लग रही है। इस प्रकरण पर अपने एक बयान में काबीना मंत्री हरक सिंह रावत ने संकेत भी किए हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि देवस्थानम के मामले में जो भी मठ मंदिरों, तीर्थ पुरोहितों और राज्य के हित में होगा, वही फैसला लिया जाएगा। हम लकीर के फकीर नहीं हैं।
15 जून 2020 को अस्तित्व में आने के बाद से ही चारों धामों से जुड़े तीर्थ पुरोहितों, हकहकूकधारियों और लोगों द्वारा देवस्थानम एक्ट का विरोध शुरू हो गया था। इसके बाद से अब तक संबंधित पक्ष लगातार आंदोलित रहे। यहां तक कि केदारनाथ में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को मंदिर दर्शन तक नहीं करने दिया गया था। वहीं इससे पूर्व 2 अक्टूबर को बदरीनाथ बंद भी रहा। हाल में तीर्थ पुरोहित महापंचायत ने सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए चुनाव में भाजपा के खिलाफ 15 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने तक की चेतावनी दी है।
5 अक्टूबर को प्रधानमंत्री के केदारनाथ दौरे पर भी विरोध का साया पड़ने की आशंका थी, हालांकि काबीना मंत्री हरक सिंह रावत और सुबोध उनियाल ने केदारधाम पहुंचकर आंदोलित तीर्थ पुरोहितों से बातचीत की थी। जिसके चलते पीएम का दौरा शांतिपूर्ण और सकुशल संपन्न हुआ।
अब जब पीएम नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया, तब से देवस्थानम मामले के भी रिटर्न होने की उम्मीद जताई जाने लगी है।
इस बारे मीडिया से बातचीत में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत का कहना है कि कृषि कानूनों के मामले में जिस तरह प्रधानमंत्री ने बड़ा दिल दिखाया, उसी तरह प्रदेश सरकार भी देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम को लेकर अडिग नहीं है। अगर लगेगा कि ये कानून चारधाम, मठ-मंदिरों व आमजन के हित में नहीं है तो सरकार इसे वापस लेने पर विचार कर सकती है। कहा इस विषय पर हम सबसे सलाह लेकर ऐसा निर्णय लेंगे जिससे सबको संतुष्टि हो।