चमोली/
यह मंदिर चमोली जनपद के मैठाणा गांव के दयोल नामक स्थान पर स्थित है। इस मंदिर में प्रतिदिन गांव के प्रत्येक परिवार द्वारा बारी बारी से पूजा अर्चना और भोग लगाया जाता है । पूजा अर्चना और भोग लगाने की इस प्रक्रिया को गांव वालों की भाषा में दयोल_पांता कहा जाता है । मंदिर में चूरन, आटे का हलवा (गुलथ्या), और चोंसु भात का भोग लगता है कहा जाता है भगवान नारायण को चोंसु भात का भोग बहुत ही भाता है।
इस स्थान पर भगवान शंकर जी का अद्भुद चमत्कारी शिवलिंग विराजमान है, मान्यताओं के अनुसार इस दिव्य लिंग में भक्तों को दिन में तीन अलग अलग रंगों में भगवान के दर्शन होते हैं। प्रातः काल मे लाल, दोपहर में एक हिस्सा लाल तो दूसरा नीला जबकि सांध्य काल मे एक दम नीले रंग में नीलाम्बर रूप में दर्शन होते हैं। एक मान्यतानुसार कहा जाता है कि इस जगह पर भगवान नारयण शिव की पूजा करते हैं ।
जबकि लक्ष्मी जी श्री नारायण जी को पूजा में सहयोग कर रही हैं यहां पर मैठाणा मंदिर क्षेत्र में कहते हैं कि लक्ष्मी नारायण जी सांसारिक मोह माया से अलग होकर देवाधिदेव भोले नाथ जी की पूजा करते हैं। तभी तो मैठाणा लक्ष्मी नारयण मंदिर में लक्ष्मी जी नारायण जी के बामांग अर्थात बायें भाग के बजाय दायें भाग में विराजी हैं,यहां पर आज भी आप देख सकते हैं कि भगवान नारायण जी का मंदिर दायें एवं लक्ष्मी जी मंदिर बायें भाग में है और दोनों के मध्य विराजे हैं देवाधिदेव कैलाशवासी भोले शंकर।
कहा जाता है कि इस स्थान पर जो भी निःस्वार्थ भाव और जनकल्याण के हित मे मनोकामना ले कर आता है भगवान लक्ष्मी नारायण जी के द्वारा उनकी मनोकामनाएं पूर्ण की जाती है।