*38 वर्षों बाद उत्तरी कड़ाकोट के कोट-भटियाणा की नागिनी माता 177 दिनों की मिलन यात्रा*

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नारायणबगड़/ चमोली

38 वर्षों बाद उत्तरी कड़ाकोट के कोट-भटियाणा की नागिनी माता 177 दिनों की मिलन यात्रा पर निकली हुई है ,बृहस्पतिबार रात्रि को पालछूनी गांव के प्रवास के बाद लोगों ने नैणी माता को नम आंखों से पैठाणी गांव के प्रवास के लिए विदा किया।


प्रखंड नारायणबगड़ कोट भटियाणा की मां नागिनी देवी आजकल 38 वर्षों बाद क्षेत्र भ्रमण पर ध्याणियों और अपनी नौ बहिनों को मिलने 177 दिनों की यात्रा पर निकली हुई हैं। बृहस्पतिवार शाम को नैणी माता नारायणबगड़ में लक्ष्मी-नारायण मिलने के बाद नारायणबगड़ गांव पहुंची जहां से विदा होकर रात्रि विश्राम के लिए नैणी माता पालछूनी गांव पहुंची। नारायणबगड़ की महिलाएं मां नैणी को विदा करने पालछूनी गांव तक पहुंची तो यहां पर दोनों गांवों की बहिनों का मां नैणी से मिलन और विदा होने का दृश्य बहुत ही भावुक हो गया।

 

महिलाएं आपस में फूट-फूटकर रोने लगी।नैणी माता के ब्रह्मगुरू बिशंवर सती के साथ महिलाओं ने भी नैणी माता के मांगल और वैदिक गीतों को गाकर नैणी माता का स्वागत किया और नारायणबगड़ की महिलाओं ने अश्रुपूरित विदाई दी। पालछूनी गांव में प्रवास के दौरान रात्रि के कार्यक्रम में नैणी माता सेवा समिति के कलाकारों ने लोगों का खूब मनोरंजन किया और ध्याणियो एवं आम श्रद्धालुओं ने मां नैणी की पूजा अर्चना कर मनौतियां मांगी और इस पर मां नैणी ने भी अपने भक्तों को दर्शन देकर आशीर्वाद दिया।
बताते चलें कि इस तरह की देवीय यात्रा के दरमियान नैणी माता,भूमियाल देवता, लाटू देवता और अन्य देवी देवताओं के साथ यात्रा में शामिल रहने वाले लोगों को 177 दिनों तक सख्त नियमों के साथ रहना पड़ता है।

 

हर परिस्थिति में नंगें पांव चलना,दोनों समय नहाना और एक टाइम भोजन करना किसी कठिन तपस्या से कमतर नहीं होती है।नैणी माता के मुख्य पुजारी बिशंवर सती ने मां नैणी के पौराणिक इतिहास के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि नैणी माता की देवरा यात्रा पर निकलने पर सभी समिति के लोगों को कड़े नियमों में बंधकर रहना पड़ता है और मां नैणी के प्रतीक निशाण के ऊपरी भाग में ब्रह्म घट की हर रोज पूजा अर्चना,वेदमंत्रों के साथ स्थापित किया जाता है जिसके प्राक्रम से देवी का निशाण जिसको नचाने,खिलाने के लिए तय चिन्वालों और ऐर्वालोंं को कोई दिक्कत नही होती। शुक्रवार शाम को नैणी माता का देवरा पालछूनी गांव से विदा होकर यात्रा काण्डा गांव से होते हुए रात्रि प्रवास के लिए पैठाणी गांव पहुंची।


पालछूनी गांव के रात्रि प्रवास पर नैणी देवी सेवा समिति के कलाकरों ने शिव पार्वती संवाद, महिषासुर पार्वती संवाद और युद्ध का मंचन कर खूब तालियां बटोरी। हास्य कलाकारों ने भी लोगों को हंसा हंसा कर लोटपोट कर दिया।इसी के साथ नैणी देवी के चिन्वालों और ऐर्वालोंं के छत्तीस तालों पर देवीय नृत्यों को नई पीढ़ी के लिए पौराणिक इतिहास को करीब से जानने और देखने का अवसर मिला।इस अवसर पर नैणी माता देवरा यात्रा समिति के अध्यक्ष दिवाकर डिमरी, सांस्कृतिक अध्यक्ष एवं ग्राम प्रधान कोट भूपेन्द्र सिंह,
सुरेन्द्र सिंह नगी,ग्राम प्रधान पालछूनी रेनू देवी, ग्राम प्रधान नारायणबगड़ गुड्डी देवी, सासंद प्रतिनिधि सुदर्शन कनेरी,बिक्रम सिंह नेगी,कोषाध्यक्ष दलवीर सिंह,पवन भट्ट, क्षेत्र पंचायत सदस्य अरविंद सिंह, छत्तीस तालों पर ऐर्वालोंं व चिन्वालों को नृत्य कराने वाले डोनिया भूपालराम एवं किशोरी लाल, ढ़ोल दमाऊ वादक मदनलाल एवं राकेश लाल सहित नैणी देवी सेवा समिति के सदस्य गण उपस्थित रहे।


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