आजादी के 75 वर्षों बाद भी सड़क की राह तकते ग्रामीण जनप्रतिनिधियों तथा सरकार की निष्क्रियता के चलते नही बन पाई सड़क

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आजादी के 75 वर्षों बाद भी सड़क की राह तकते ग्रामीण

जनप्रतिनिधियों तथा सरकार की निष्क्रियता के चलते नही बन पाई सड़क

बद्रीनाथ विधायक भी सड़क मामले पर गंभीर नही

सोनू उनियाल/ चमोली/ जोशीमठ।

आजादी के 75 साल बाद भी सीमांत गाँव तोलमा सड़क से नही जुड़ पाया है। जिससे तोलमा के ग्रामीणों मे नारागजी है।
गौरतलब है कि 9 नवम्बर को उत्तराखंड बने हुये 22 वर्ष पूरे हो जाएंगे। और उत्तराखंड अपना 23 वा स्थापना दिवस मनाएगा। लेकिन इन 22 बर्षो मे पहाड़ो मे कितना विकास हुआ ये पहाड़ के लोग भली भांति जानते है। इन 22 वर्षों मे कई गाँव ऎसे है जो अभी सड़क मार्ग से नही जुड़ पाए है। अभी भी ग्रामीण कई किमी पैदल चलकर मुख्य सड़क तक पहुँचते है। कई बार तो बीमार मरीज को डंडी कंडी के सहारे सड़क तक पंहुचाया जाता है। वही सीमांत गांव तोलमा अभी भी सड़क से नही जुड़ पाना सरकार के लिये कही कही प्रश्न चिह्न खड़े करता है। नीति मलारी राष्ट्रीय राजमार्ग से तोलमा गाँव महज पांच किमी दूर है। तथा अभी केवल 2 किमी सड़क ही बन पाई है। जबकि अभी 3 किमी सड़क और बनाई जानी है। लेकिन सरकार व प्रशासन की लापरवाही से तीन किमी सड़क नही बन पाई है। सोमवार को मुम्बई से कालेज स्टडी पर आए कुछ छात्र छत्राये तोलमा गाँव पैदल पंहुचे तो उनके चहरे पर मायूसी थी। छात्र छत्राओ का कहना था कि हम यहाँ कालेज स्टडी के लिये आये थे। लोकिन देखा तो तोलमा गांव तक अभी सड़क नही पहुँच पाई है। आजादी के 75 साल बाद भी यहाँ सड़क नही पहुँच पाना सरकार की नाकामयाबी है। जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

बॉक्स मैं लगाना है ये बयान है।

मैं मुम्बई कालेज की छात्रा हूं स्टडी टूर पर तोलमा गाँव आई थी। लेकिन सड़क न होने के कारण पैदल तोलमा गाँव पंहुची तो थोड़ी हैरानी हुई।
कृशि शाह
छात्र मुम्बई

मैं मुम्बई से यहाँ घूमने आईं थी मुझे भी तोलमा गांव जाना था लेकिन मे पैदल चलने मे असमर्थ थी। तो तोलमा गाँव नही जा सकी।
डॉ प्रतिभा नैथानी
पर्यटक मुम्बई

वैसे उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके बहुत सुंदर है। लेकिन आज तक कई गांव सड़क से नही जुड़ पाए है। सरकार को दूरस्थ गाँवो को सड़कों से जोड़ना चाहिये।
पार्थ सूरी
छात्र मुम्बई


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