आजादी के 75 वाँ अमृत महोत्सव के बाद भी जनजाति गांव तोलमा सड़क विहीन जोशीमठ चमोली

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चमोली/ जोशीमठ

आजादी के 75 वाँ अमृत महोत्सव के बाद भी जनजाति गांव तोलमा सड़क विहीन जोशीमठ चमोली (नीती घाटी) उत्तराखंड राज्य के जनपद चमोली विकासखंड जोशीमठ का एक सीमांत गांव तोलना है जो आजादी के75 वर्षों के बाद भी मोटर रोड की राह देख रहा है इस गांव के लिए सड़क की शुरुआत आज से 25 वर्ष पूर्व हुआ था। विकास के आईने दिखाने वालों ने कई तरह के सपने लोगों को दिखाएं क्षेत्र पंचायत जिला पंचायत विधानसभा ग्राम सभा के चुनाव क्यों न हो इस गांव के लिए सड़क की घोषणा की जाती रही है कोई भी जीतेगा हम सड़क के लिए संघर्ष करेंगे किंतु लोगों को सिर्फ मिला तो निराशा वेवफाई हतासा ही हाथ लगी आज से 17 वर्ष पूर्व इस गांव के लिए लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड गोपेश्वर के द्वारा 4 किलोमीटर सड़क निर्माण की घोषणा की गई कई वर्षों तक वन अधिनियम के कारण सड़क का काम शुरू नहीं हो पाया उसके बाद विभाग ने सड़क का काम तो शुरू किया 1 किलोमीटर मोटर रोड का काम चलता रहा किंतु लगातार काम नहीं होने से सड़क नही वनी जितनी बनी थी वह भी क्षतिग्रस्त होती रही क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने कई बार इस प्रकरण में ज्ञापन मंत्री विधायक जिलाधिकारी को भी देते रहे किसी ने जनता की नहीं सुनी आज भी 4 किलोमीटर सड़क 17 वर्षों के अंतराल में नहीं बन पाई।

 

यह मोटर मार्ग नीति राष्ट्रीय राजमार्ग के अति निकट सुराइठोटा के पास से बन रही है तोलमा गांव में अनुसूचित जनजाति के 40 परिवार निवास करते हैं जो अधिकतर खेती पर निर्भर है पशु पालन करते हैं बकरी पालन का व्यवसाय लोगों का है जड़ी बूटी की खेती भी लोग करते हैं यहां पहुंचने पर गांव अति सुंदर है चारों ओर से हिमालय का दृश्य बड़ा ही दिलकश लगता है यहां पहुंचने वाला हर कोई बाहरी व्यक्ति गांव की सुंदरता को देखकर ठगा सा रह जाता है प्रकृति अनमोल खजाना से भरा यह क्षेत्र प्रकृति पर्यटन की अपार संभव नहीं अपने अंदर छुपा कर रखी हुई है आवश्यकता है तो थोड़ा इसको लोगों तक पहुंचाने की लोगों का इंतजार मात्र मोटर रोड ही है कि यहां पर आने-जाने की सुविधा हो जाए जो यहां के लोग आजादी की पिस्तौल वर्ष भी विकास की बाट झो रहे हैं यहां लोग खुशी-खुशी रहते हैं प्रकृति की सुंदर हवा पानी सौंदर्य यह आने के लिए बार-बार कर
ता है आठ माह यहाँ गांव में निवास करते हैं यह अत्यधिक बर्फबारी होने के कारण लोग 4 माह के लिए नीचे वाले गांव में आ जाते हैं इन लोगों का मूलगांव तोलमा है आज भी गांव के लोग गांव पहुंचने के लिए 5 किलोमीटर पैदल खड़ी चढ़ाई तय करके गांव पहुंचते हैं ।तोलमा गांव की पूर्व प्रधान माला देवी कहती है कई बार हमने क्षेत्रीय विधायक महेंद्र प्रसाद भट्ट पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र सिंह भंडारी को भी इस सड़क के संबंध में ज्ञापन दिए किसी ने हमारी बात नहीं सुनी आज भी सड़क अधूरी है सड़क बनने के आसार नहीं दिख रहे हैं जब भी चुनाव का समय आता है सभी लोग सड़क पहुंचाने की बात करते हैं। तोलमा गांव के निवासी रुद्र सिंह कहते हैं पिछले 5 वर्ष से इस मोटर मार्ग पर एक भी पत्थर नहीं लगाया गया। इसी गांव के गोविंद सिंह का कहना है कि हम सरकार के चक्कर काट रहे हैं कि सरकार हमारी सड़क का काम शुरू कर दो डबल इंजन की सरकार कुछ करने के लिए तैयार नहीं है हमें मात्र वोट के लिए उपयोग किया जाता है भोटिया जनजाति के कल्चर में लोगों को ले जाकर के राजनेताओं की रैली तो सफल तो हो जाती है परंतु आजादी के 75 वर्ष के बाद भी हम सड़क की भीख मांग रहे है सड़क 17 वर्षों में 500 मीटर भी नहीं बन पाई। नीति घाटी के राष्ट्रीय पहचान वाले नेता भी इसी क्षेत्र से विधायक एवं मंत्री रहे पूर्व विधायक केदार सिंह फोनिया के बद्रीनाथ विधानसभा क्षेत्र का गांव है इस क्षेत्र के जनजाति से ही रामकृष्ण रावत वर्तमान में उत्तराखंड सरकार के राज्य मंत्री के पद पर रहे हैं इन लोगों ने भी इस गांव की सुध नहीं ली।

प्रमुख क्षेत्र पंचायत जोशीमठ हरीश परमार कहते हैं की वर्ष 2019 के क्षेत्र पंचायत गठन के बाद आज तक क्षेत्र पंचायत की बैठक नहीं हो पाई लोगों की आवाज दब के रह गई है जनप्रतिनिधि इस बैठक के माध्यम से भी अपने गांव की समस्या रखते थे आज तक बैठक नहीं हो पाने से भी इस तरह के मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पा रही है। उन्होंने कहा कि जनजाति क्षेत्र के गांव में सड़क नहीं पहुंचना दुर्भाग्य की बात है दूसरी ओर यह क्षेत्र बॉर्डर एरिया के बहुत ही नजदीक है इसका विकास तो होना ही चाहिए। यह क्षेत्र बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट के अंतर्गत आता है जहां मूलभूत सुविधाओं का विकास होना बहुत आवश्यक है देश की सुरक्षा के लिए भी और गांव की सुरक्षा के लिए सड़क आवश्यक है।


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