शीतकाल में छह माह के लिए बंद हुए बदरीनाथ धाम के कपाट,।

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चमोली/ बदरीनाथ

बदरीनाथ धाम के कपाट 20 नवंबर को शुभ मुहुर्त में देर शाम 6 बजकर 45 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। कपाट बंद होने पर बदरीनाथ धाम में पहुंचे तीर्थयात्रियों ने जय ‌बदरीविशाल के जयकारे लगाए। बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने से पूर्व शनिवार को 4366 तीर्थयात्रियों ने भगवान बदरीनाथ के दर्शन किए।

शनिवार को दिनभर बदरीनाथ धाम के कपाट तीर्थयात्रियों के लिए खुल रहे। रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने तड़के भगवान बदरीनाथ का महाभिषेक कर फूलों से श्रृंगार किया। इसके बाद माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की गई और माता की प्रतिमा को बदरीनाथ गर्भगृह में लाया गया और श्री कुबेर जी व उद्घव जी को बदरीश पंचायत (बदरीनाथ गर्भगृह) से बाहर लाया गया।

माता लक्ष्मी को शीतकाल में छह माह के लिए बदरीनाथ गर्भगृह में विराजमान किया गया। कपाट बंद होने से पहले बदरीनाथ धाम को फूलों से सजाया गया। इस बार कपाट बंद होने के दौरान धाम में कोई भी वीआईपी नहीं पहुंचे। इस बार चारधाम यात्रा पर पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या पांच लाख के पार हो गई। चारधामों में 506240 तीर्थयात्री यात्रा पर पहुंचे। केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट पूर्व में शीतकाल के लिए बंद हो गए थे, जबकि बदरीनाथ धाम के कपाट 20 नवंबर को बंद हुए।


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