कार्तीक स्वामी मंदिर में 17 नवम्बर बैकुंड चतुर्थदशी के अवसर पर देव दीपावली का आयोजन किया जाएगा।

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रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड

 

कार्तिकेय मंदिर समिति के तत्वाधान में कार्तिक स्वामी मंदिर में 17 नवम्बर बैकुंड चतुर्थदशी के अवसर पर देव दीपावली का आयोजन किया जाएगा। देव दीपावली को लेकर समिति ने मंदिर को सजाने का कार्य शुरू दिया है। मंदिर में स्थानीय कीर्तन मंडलियां के अलावा संस्कृति निदेशालय के कलाकारों की ओर से रात्रि जागरण कर अपनी प्रस्तुतियां देंगे। 18 नवमबर को पूजा अर्चना, हवन व जलाभिषेक के साथ कार्यक्रम का समापन किया जाएगा। 

चमोली व रुद्रप्रयाग जिले के 362 गाँवों का आराध्य देव भगवान कार्तिक स्वामी मंदिर में कर्तिक पूर्णिमा यानी बुधवार रात्रि को देव दीपावली धूमधाम से मनाई जाएगी। गई। मंदिर में भगवान कार्तिक की रात्रि को विशेष पूजा अर्चना के बाद भक्तों ने कीर्तन भजनों का आयोजन भी किया जाएगा। रात्रि में चार पहर की पूजा अर्चना कर विश्व कल्याण की कामना की जाएगी। रात्रि को मंदिर को चारों ओर से दीपकों की रोशनी से जगमग किया जाएगा। क्षेत्र की पोगठा, सारी ग्वांस, बाडव, जहंगी, तडाग, उर्खोली समेत कई गांवों से कीर्तन मंडलियां पहुंचने की उम्मीद है।

 

कार्यक्रम पहली बार उत्तराखंड संस्कृति निदेशालय के कलाकारों की ओर से भजन व जागर कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। जिसमें स्थानीय लोगों से सहयोग की अपेक्षा की गई है। इसके अलावा इस पर्व पर पिछले लंबे समय से निसंतान दंपत्तियां रात्रि में खड़ा दीपक लेकर व्रत कर आ रहे है। इस वर्ष भी बड़ी संख्या में निसंतान दंपत्तियों के पहुंचने की उम्मीद है। माना जाता है इस दिन 33 कोटि देवी देवता कार्तिकेय को मिलने क्रौंच पर्व पर आते है। ऐसे में यहां पहुंचे सभी भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कार्यक्रम में मंदिर समिति की ओर से भंडारे का आयोजन भी किया जाएगा। गुरूवार को पूजा अर्चना व जलाभिषेक करने के बाद देव दीपावली का समापन किया जाएगा। 

कार्तिकेय मंदिर समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न नेगी ने बताया कि कार्तिक स्वामी मंदिर में देव दीपावली मनाने को लेकर तैयारियां लगभग पूरी हो गई है। मंदिर को फूल व लडियों से सजाया गया है। देव दीपावली के अवसर पर रात्रि को मंदिर में दीपक जलाए जाएंगे। बताया कि कार्तिकेय रुद्रप्रयाग और चमोली जिले की 362 गांवों के आराध्य हैं। कुमार कार्तिकेय का उत्तर भारत का एक मात्र मंदिर हैं। प्रतिवर्ष यहां जून माह में महायज्ञ का आयोजन के साथ कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली मनाने की परम्परा भी है। जिसमें दूर दराज क्षेत्रों से भक्तजन पहुंचकर इसके साक्षी बनते है।


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