गोपीनाथ मंदिर में की पूजा अर्चना ओर उसके बाद निकल पडे, राजधानी बनाएं जाने की मांग को लेकर निकाली गई पद यात्रा

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चमोली

जिला मुख्यालय गोपेश्वर निकाली गई गैरसैंण को राज्य की स्थाई राजधानी बनाएं जाने की मांग को लेकर निकाली गई पद यात्रा कर्ण नगरी कर्णप्रयाग पहुंच गई हैं जहां पर पदयात्रियों ने तमाम कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को स्थाई राजधानी गैरसैंण के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया।   गोपेश्वर से शुरू की गई पदयात्रा के पदयात्रियों ने कर्णप्रयाग पहुंच कर यहां पर पिंडर एवं अलकनंदा नदियों के संगम पर स्थित शिवालय, मां उमा देवी मन्दिर पहुंच कर पूजा-अर्चना की इसके बाद वें उमा तिराहे पर पहुंचे जहां पर एक नुकड सभा की गई इसके बाद यात्रा उमा तिराहे से महाविद्यालय कर्णप्रयाग होते हुए मुख्य बाजार कर्णप्रयाग पहुंची यहां पर भी एक सभा का आयोजन किया गया।

जिसमें वक्ताओं ने कहा कि पहाड़ी जिलों का तबतक विकास संभव नही हैं, जबतक कि इसकी राजधानी गैरसैंण में नही बनाई जाती हैं। इसके लिए सभी को एक मंच पर एक बार फिर से उत्तराखंड अलग राज्य की तर्ज पर ही आंदोलन करना होगा।तभी सरकारें पहाड़ की जनभावनाओं के अनुरूप गैरसैंण में राज्य की स्थाई राजधानी बनाने पर विवश होगी। इस मौके पर कर्णप्रयाग के नागरिकों ने पदयात्रियों का फूलमालाओं के साथ भव्य रूप से स्वागत किया।इस मौके पर उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी डा. मदन मोहन नवानी, व्यापार संघ के पूर्व अध्यक्ष हरीश सती, राकेश सिंह कोटियाल, धर्मराज रावत,प्रकाश मैखुरी,मुकेश मुक्की भाई, सुबोध कुमार,हर्षवर्धन, राज्य आंदोलनकारी हरिकृष्ण भट्ट,कांग्रेस जिलाध्यक्ष बीरेंद्र सिंह रावत,राजपाल बिष्ट आदि ने विचार व्यक्त किए।

 

प्रवीण सिंह काशी, भगत सिंह बर्त्वाल, दीपक फर्स्वाण, बिक्रम सिंह नेगी, दिनेश बहुगुणा,मोहित कुकरेती, अरविन्द हटवाल, योगेन्द्र राम, अंशी बिष्ट, भारती मिंगवाल, सुशीला भारती, गैरसैण राजधानी आन्दोलन के अध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट, बीरेंद्र सिंह मिंगवा इस पदयात्रा में नंग पाऊं भाग लें रहें हैं।


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